शिवपुरी
विगत तीन-चार दिनों से मौसम दशा को देखते हुए एवं
आगामी प्राप्त हो रहे मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान
केन्द्र शिवपुरी द्वारा जिले के कृषकों, पशुपालकों, मत्स्य पालकों एवं ग्रामीणों के लिए तकनीकी
परामर्श दिया गया है।
वर्तमान मौसम को देखते हुए आलू की फसल में झुलसा
रोग आने की संभावना अधिक है। किसान भाई मेटालेक्जिल एवं मेंकोंजेव के रेडीमिक्स
मिश्रण दवा का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर 10 दिन के अंतराल से
02 बार छिड़काव करें। सरसों फसल में तना गलन (पोलियो रोग) आने की संभावना अधिक बढ़
जाती है। सुरक्षात्मक उपाय हेतु 15 दिन के लिए फसल में पानी न लगायें। फसलों को
शीत लहर से बचाने के लिए हल्की सिंचाई करें या खेत में नमीं बनाये रखें रात के समय
खेत के उत्तर-पश्चिम दिशा में सावधानीपूर्वक कचरा-कूड़ा इस प्रकार जलायें कि धुआं
होता रहे एवं वहां के सूक्ष्म जलवायु (माइक्रोक्लाइमेट) में सुधार हो सके।
मौसम/आसमान साफ होने पर हवाएं नहीं चलने की स्थिति में तापमान गिरने की अधिक संभावना
रहती है ऐसी दशा में पाला गिरता है। इस स्थिति में फसलों को पाले से बचाव के लिए
घुलनशील गंधक 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के मान से घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव
करें।
फलदार पौधों में थालों में निराई-गुड़ाई कर 5
किग्रा. वर्मीकम्पोस्ट के साथ सल्फर एवं पोटाश का मिश्रण 250 ग्राम प्रति पौधा
दें। दुधारू पशुओं को बाहर न निकालें, शेड में ही रखें, स्वच्छ एवं ताजा या गुनगुना पानी गुड़ के साथ
पिलायें एवं पशु आहार में सरसों की खली भी प्रयोग में लायें। ठंड एवं शीत लहरों से
पशुओं के शरीर को जूट के बोरों से ढककर रखें तथा डेयरी शेड के आसपास अलाव जलायें।
अधिक ठंड के मौसम में मछली पालन तालाब की ऊपरी सतह
अधिक ठण्डी हो जाने के कारण संपर्क में आने से मछलियों की मृत्यु हो सकती है।
तालाब के पानी का स्तर 1.5-2.0 मीटर तक बढ़ा लें क्योंकि पानी की ऊपरी 01 फीट की
सतह ही अत्यधिक ठंडी होती है। ठंड के मौसम में मछली का मेटाबोलिज्म (चयापचयी
क्रिया) कम होती है। इस मौसम में परिपूरक आहार (कृत्रिम भोजन) का प्रयोग कम करें
क्योंकि मछली ठण्ड के मौसम में कम भोजन ग्रहण करती है।